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‘जानवरों का अधिग्रहण कानून के अनुसार’: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त SIT ने VANTARA को दी क्लीन चिट।

‘जानवरों का अधिग्रहण कानून के अनुसार’: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त SIT ने वंतारा को दी क्लीन चिट। एसआईटी को सुविधा के खिलाफ अवैध पशु अधिग्रहण के आरोपों का “स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन” करने का काम सौंपा गया था

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक विशेष जांच दल (SIT) ने रिलायंस फाउंडेशन की जामनगर, गुजरात स्थित पशु बचाव और पुनर्वास पहल ‘वंतारा’ को क्लीन चिट दे दी है। एसआईटी ने शीर्ष अदालत को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वंतारा द्वारा जानवरों का अधिग्रहण कानून के अनुसार किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रिपोर्ट की समीक्षा के बाद कहा कि एसआईटी को वंतारा द्वारा जानवरों की खरीद में कोई अवैधता नहीं मिली। अदालत ने यह भी कहा कि यह सुविधा “कानूनों का सख्ती से पालन” कर रही है और इसकी छवि को धूमिल करने के प्रति आगाह किया।

आरोप

यह जांच दो जनहित याचिकाओं (PILs) के बाद शुरू की गई थी, जिनमें वंतारा में कथित अनियमितताओं पर चिंता जताई गई थी। एसआईटी द्वारा जांचे गए मुख्य आरोपों में शामिल थे:

  • जानवरों का अवैध अधिग्रहण: जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि वंतारा ने भारत और विदेश से बड़ी संख्या में जानवरों, विशेषकर हाथियों का अवैध रूप से अधिग्रहण किया था।
  • जानवरों के साथ दुर्व्यवहार: सुविधा में रखे गए जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और क्रूरता के दावे किए गए थे।
  • वित्तीय अनियमितताएं: याचिकाओं में संगठन के कामकाज में वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग पर भी सवाल उठाए गए थे।
  • वन्यजीव कानूनों का पालन न करना: आरोपों में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, और वन्य जीवों तथा वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के उल्लंघन की ओर इशारा किया गया था।

एसआईटी की जांच और निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर (Justice J. Chelameswar) की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय एसआईटी ने एक गहन जांच की, जिसमें वंतारा सुविधा का भौतिक निरीक्षण भी शामिल था। टीम ने जानवरों के अधिग्रहण, उनके परिवहन और उनकी देखभाल से संबंधित दस्तावेजों की जांच की।

एसआईटी ने अपनी व्यापक रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि वंतारा का पशु अधिग्रहण पहली नज़र में मौजूदा नियामक ढांचे के भीतर था। टीम को जानवरों की अवैध खरीद या दुर्व्यवहार के दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला। रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को भी संबोधित किया गया और उन्हें खारिज कर दिया गया।

एसआईटी की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्षों पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की है और उम्मीद है कि वह एक विस्तृत आदेश पारित करेगा। यह क्लीन चिट वंतारा के लिए एक बड़ी राहत है, जिसने लगातार यह कहा है कि इसका संचालन पारदर्शी है और पशु कल्याण के लिए समर्पित है।

 

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