महाराष्ट्र सरकार ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में इससे पहले दोषी ठहराए गए 12 व्यक्तियों को बॉम्बे उच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा हाल ही में बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सर्वोच्च न्यायालय इस याचिका पर 25 जुलाई, 2025 को सुनवाई करेगा।
मामले की पृष्ठभूमि : 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट, जिसे 7/11 विस्फोट के नाम से भी जाना जाता है, में कम से कम 180 यात्री मारे गये और सैकड़ों घायल हो गये। अक्टूबर 2015 में एक विशेष अदालत ने 12 व्यक्तियों को दोषी ठहराया था, जिनमें से पांच को मृत्युदंड तथा बचे हुए सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
नयी गतिविधि : 21 जुलाई, 2025 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष (prosecution ) “उचित संदेह से परे अपराध को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा।” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) (Special Leave Petition (SLP)) दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में गलती की है।
सरकार की स्थिति : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने उच्च न्यायालय के फैसले को “चौंकाने वाला” बताया तथा इस पर गहन कानूनी चुनौती की आवश्यकता पर जोर दिया। राज्य सरकार बरी किये जाने पर रोक लगाना चाहती है तथा निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को बहाल करना चाहती है।
आगे : उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले की सुनवाई 25 जुलाई, 2025 को किए जाने की उम्मीद है, तथा सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया है। इस अपील के परिणाम का 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में न्याय पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।












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