मुंबई के विक्रोली में विधानसभा चुनाव के चलते बहुत गहमा-गहमी दिख रही है। आमने-सामने हैं शिवसेना के दोनों गुटों के दो उम्मीदवार। शिवसेना शिंदे गुट ने पूर्व नगरसेविका सुवर्णा करंजे को टिकट दिया है, वहीं उबाठा गुट ने संजय राउत के छोटे भाई और हमेशा विवादों में रहने वाले विधायक सुनील राउत को टिकट दिया है।
वैसे तो दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला टक्कर का माना जा रहा है क्योंकि पूर्व नगरसेविका सुवर्णा करंजे जमीन से जुड़ी नेता और कार्यकर्ता हैं। कोरोना के समय, जब सारे स्थानीय नेता घर बैठे थे, उस समय उन्होंने जिस सक्रियता से लोगों का काम किया था, उसे लोग अब भी नहीं भूले हैं। स्थानीय लोगों को कोई भी परेशानी हो तो सबसे पहले सामने आने वाले नेताओं में सुवर्णा करंजे का नाम आता है।
इसके ठीक विपरीत, विधायक सुनील राउत हमेशा विवादों में रहने के लिए जाने जाते हैं। पहले मयूर शिंदे जैसे गुंडे को संरक्षण देने और फिर सज्जू मलिक जैसे भूमाफिया अपराधी के साथ मिलकर विक्रोली पूर्व के बड़े भाग पर गैरकानूनी कब्जा करने का आरोप उन पर लगा है। विक्रोली पूर्व और पश्चिम दोनों तरफ के जो स्थानीय गुंडे हैं, जिनका काम गैरकानूनी निर्माण करना है, वे सारे सुनील राउत के संरक्षण में हैं। इन सबके कारण सुनील राउत की छवि एक आपराधिक नेता की बन गई है।
अपनी खराब छवि के बावजूद, सुनील राउत अपनी जीत को लेकर काफी आश्वस्त हैं। उनके इस आत्मविश्वास का कारण भी भूमाफिया सज्जू मलिक ही हैं। आप लोगों को याद दिला दूं, सज्जू मलिक वही व्यक्ति हैं जिन्होंने कोरोना काल में स्याम नगर, भांडुप पूर्व में लगभग 400 से 500 झोपड़े बांधकर बेचकर करोड़ों रुपये कमाए थे। इसके अलावा, भांडुप पूर्व के साल्ट लैंड में भी लगभग 100 झोपड़े बनाकर सज्जू मलिक ने उन्हें बेचा था। पूरे विक्रोली में अलग-अलग थानों पर इस तरह के हजार से ज्यादा झोपड़े बांधकर सज्जू मलिक ने बेचे हैं। इस तरह अवैध निर्माणों से सज्जू मलिक ने लगभग 25 करोड़ रुपये कमाए। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने महानगरपालिका से शिकायत करके इनमें से कुछ झोपड़ों को तुड़वा दिया था, पर सज्जू मलिक ने इन झोपड़ों को फिर से बनवा दिया।
सज्जू मलिक ने सुनील राउत को आश्वासन दिया है कि इन गैरकानूनी झोपड़ों में रहने वाले लगभग 5000 लोगों के वोट सुनील राउत को ही मिलेंगे। सज्जू ने भरोसा दिलाया है कि जिन लोगों को सस्ते दामों में ये गैरकानूनी झोपड़े बेचे गए हैं, उनका वोटर रजिस्ट्रेशन हो चुका है और वे सभी अब विक्रोली के वोटर हैं। सुनील राउत इस 5000 वोट की लॉटरी से बहुत खुश हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ चुका है और इस समय सज्जू मलिक ही उनके सबसे प्रिय व्यक्ति हैं। बाहर से लोगों को लाना, उनके लिए गैरकानूनी झोपड़े बनाना, उनका वोटिंग रजिस्ट्रेशन कराना, और उनसे सुनील राउत को वोट दिलवाना, कांजुर गांव के लोगों को डराना, धमकाना, मार-पीट करना — ये सारी जिम्मेदारियां सज्जू मलिक ने अच्छे से निभाई हैं।
सज्जू मलिक इस समय सुनील राउत के इतने प्रिय और करीबी हैं कि नामांकन के समय वे सुनील राउत का हाथ पकड़कर उन्हें साथ लाए और खूब नाचे। अब कांजुर और विक्रोली के निवासियों को तय करना है कि क्या हमें ऐसे व्यक्ति को वोट देना है जो सिर्फ अपराधियों को मजबूत करता है और उनके दम पर चुनाव जीतने की कोशिश करता है। यह तो चुनाव का परिणाम ही तय करेगा कि सज्जू मलिक की कृपा से सुनील राउत चुनाव जीतते हैं या जनता की कृपा से सुवर्णा करंजे चुनाव जीतती हैं।















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