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सुजात आंबेडकर ने विशाल पावशे के समर्थन में किया प्रचार …….जुड़ेगे तो जीतेंगे का दिया नारा!

कल्याण (सुशील सिंह)

 

कल्याण में वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार विशाल पावशे के समर्थन में सुजात आंबेडकर, जो भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नेता माने जाते हैं, उपस्थित हुए।

सुजात आंबेडकर का मानना है कि नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी, दोनों ही कट्टरपंथी राजनीति के प्रतीक हैं। उनका तर्क है कि ये नेता अपने-अपने दलों के लिए समान रणनीतियों का पालन करते हैं, जो आम जनता के हित में नहीं हैं। आंबेडकर का आरोप है कि ये नेता सामाजिक एकता को कमजोर करते हैं और जातिवाद तथा धर्मवाद को बढ़ावा देते हैं।

बीजेपी द्वारा की गई “कटोगे तो बटोगे” की घोषणा ने विवाद को जन्म दिया है। सुजात आंबेडकर ने इस पर सवाल उठाया है कि चुनाव आयोग इस तरह की घोषणाओं पर कार्रवाई क्यों नहीं करता। यह स्पष्ट है कि जब राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीतियों में ऐसे विवादास्पद बयान देते हैं, तो समाज में अस्थिरता उत्पन्न होती है।

विशाल पावशे का कार्य कल्याण पूर्व के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सुजात आंबेडकर ने उनके कार्यों की सराहना की है, जिसमें कोविड-19 के दौरान चिकित्सा सहायता और सामान्य जन के लिए उनकी सेवाएँ शामिल हैं। पावशे की छवि एक ऐसे नेता के रूप में है जो समाज के हर वर्ग के लिए कार्यरत हैं।

सुजात आंबेडकर ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को चुनावी टिकट प्रदान कर रहे हैं। पुलिस स्टेशन में गोलीबारी का मामला, उसकी पत्नी को बीजेपी ने चुनावी टिकट दिया है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है और राजनीति में नैतिकता की कमी को उजागर करता है।

आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, जो यह स्पष्ट करता है कि कुछ राजनीतिक दल अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए ऐसे व्यक्तियों का समर्थन कर रहे हैं।

सुजात आंबेडकर ने मोदी और राहुल गांधी की कट्टरपंथी राजनीति की आलोचना की है। साथ ही, उन्होंने विशाल पावशे के कार्यों की सराहना की है और बीजेपी की विवादास्पद घोषणाओं पर सवाल उठाए हैं। यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में नैतिकता और सामाजिक एकता की आवश्यकता है। समाज के हर वर्ग को एकजुट करने के लिए, हमें ऐसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो समाज के लिए कार्य करते हैं, जैसे कि विशाल पावशे।

“कटोगे तो बटोगे” के बीजेपी के नारे के विपरीत, आंबेडकर का नारा “जुड़ेगे तो जीतेंगे” है। आंबेडकर ने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता का प्रतीक है

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