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सिद्धिविनायक अस्पताल की मनमानी, मेडिक्लेम के लिए बिल देने के लिए मांगे 11 हजार अतिरिक्त।

डेली डोज ! विनोद तिवारी

कल्याण :

डॉ. ज्योति सिंह का परिजनों को धमकी, “जो उखाड़ना है उखाड़ लो, हमारी पहुंच ऊपर पुलिस तक है।”

कल्याण पूर्व में सिद्धिविनायक अस्पताल (Siddhivinayak Hospital) अपनी मनमानी और परिजनों के साथ बुरे बर्ताव की आदत से बाज नहीं आ रहा है। आए दिन गर्भवती महिलाओं के परिजनों के साथ बत्तमीजीपूर्ण बर्ताव और धमकाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

अस्पताल की प्रमुख, डॉ. ज्योति सिंह, को अपनी राजनीतिक और पुलिस की पहचान पर अत्यधिक अहंकार है। मार्च महीने में ही, शुक्ला नामक गर्भवती महिला के पति, श्री शुक्ला, को मेडिक्लेम के लिए बिल मांगने पर 11,000/- रुपये अतिरिक्त मांगे गए और नहीं देने पर धमकी दी गई कि “अगर अतिरिक्त रुपये नहीं देंगे तो बिल नहीं मिलेगा, जहां जाना है जाओ, जिसको बोलना है बोलो, हमारा कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता।” उल्लेखनीय है कि डॉ. ज्योति सिंह के पति, देवेंद्र सिंह, एक असफल नेता हैं और अपने कुछ बिकाऊ पुलिस अधिकारियों और वेब पोर्टल वाले पत्रकार साथियों को नियमित रूप से पैसे देकर अस्पताल में हो रही धांधली और मनमानी को संरक्षण देने का कार्य करते हैं। इलाज में गड़बड़ी होने पर मरीज के परिजनों को धमकाकर चुप करा दिया जाता है।

ऐसी ही मनमानी और गुंडागर्दी मार्च महीने में शुक्ला परिवार के साथ घटित हुई। शुक्ला की पत्नी गर्भवती थीं, और शुक्ला ने किसी परिचित की सलाह पर अपनी गर्भवती पत्नी का इलाज सिद्धिविनायक अस्पताल में डॉ. ज्योति सिंह से करवाना शुरू किया। शुरुआत से ही डॉ. सिंह ने जो भी उपाय सुझाए, शुक्ला ने उनका पालन किया और उन्हें आश्वासन दिया गया कि “बच्चे की डिलीवरी सामान्य ही होगी।” शुक्ला ने डॉ. ज्योति सिंह को बताया कि उनके पास ICICI LOMBARD GENERAL INSURANCE की मेडिकल पॉलिसी है।

शुक्ला ने अस्पताल में स्पष्ट रूप से विनती की थी कि सामान्य डिलीवरी ही की जाए, यदि ऑपरेशन की आवश्यकता हुई तो पहले से सूचित किया जाए, ताकि वे कहीं और प्रयास कर सकें। डॉ. ज्योति सिंह ने उन्हें निश्चिंत रहने का आश्वासन दिया।

दिनांक 17/03/25 को श्रीमती शुक्ला को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी वाली कंपनी बदल दी है और मेडिक्लेम हो भी सकता है और नहीं भी। 18/03/25 को नवजात शिशु के डिलीवरी के ठीक पहले परिजनों को बताया गया कि बच्चे के दिल की धड़कन कम हो गई है, ऑपरेशन करना पड़ेगा। यह सुनकर शुक्ला ने कहा कि यदि पहले ही बताया होता तो हम कहीं और ले जाते। तब डॉक्टर ने भयभीत करते हुए कहा कि “बच्चे और मां को कुछ हो गया तो हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।” प्रसव पीड़ा के अंतिम क्षणों में ऐसी धमकी से विचलित होकर शुक्ला ने ऑपरेशन के लिए सहमति दे दी। शुक्ला ने शुरुआत में ही डॉक्टर से इलाज के कुल खर्च का बजट पूछा था, तब बताया गया था कि ऑपरेशन की स्थिति में भी इलाज का कुल खर्च लगभग 45 से 50 हजार होगा। शुक्ला ने इलाज का पूरा बिल 52,000 रुपये का भुगतान अस्पताल को कर दिया।

दिनांक 21/03/25 को अस्पताल से मां और बच्चे को डिस्चार्ज करते समय श्री शुक्ला ने बताया कि उनकी नई कंपनी ने बिल जमा करने को कहा है ताकि मेडिक्लेम से लाभ मिल सके। जब शुक्ला ने इलाज में खर्च हुए 52,000 रुपये का मेडिक्लेम लेने के लिए अस्पताल से बिल मांगा, तो डॉ. ज्योति सिंह ने उनसे कहा कि “उस मेडिक्लेम कंपनी से हमारा प्रत्येक केस का 63,000 रुपये का पैकेज निश्चित है और अगर आपको मेडिक्लेम के लिए बिल चाहिए तो हमें 11,000/- रुपये और देना पड़ेंगे, नहीं तो न बिल देंगे और न ही मैं मेडिक्लेम के फॉर्म पर अपने हस्ताक्षर करूंगी।”

डॉ. ज्योति सिंह के इस खराब बर्ताव पर भौचक्का होकर शुक्ला ने दलील दी कि जब खर्चा 52,000 रुपये हुआ है तो मुझे बिल भी 52,000 का ही चाहिए, मैं 63,000 रुपये का मेडिक्लेम का बिल क्यों लूं? और आपको 11,000 रुपये अतिरिक्त क्यों दूं?

इस पर आगबबूला होते हुए डॉ. ज्योति सिंह ने कहा कि मेडिक्लेम कंपनी को हम 63,000 रुपये का ही बिल देंगे और उतना रुपये ही लेंगे। जब शुक्ला ने बिल के लिए जिद की, तो डॉ. ज्योति सिंह ने शुक्ला को धमकाते हुए कहा कि “बिल चाहिए तो 11,000 रुपये अतिरिक्त लगेंगे, नहीं तो जिस भी नेता और पुलिस के पास जाना है जाओ, हमारा कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता।”

एक अस्पताल की मुख्य महिला डॉक्टर से बुरे बर्ताव और धमकी से भयभीत होकर शुक्ला परिवार ने पुलिस में शिकायत करने से डर गए। प्रश्न यह है कि जब खर्चा 52,000 रुपये का हुआ तो मेडिक्लेम बिल 63,000 का क्यों? जनता के पैसे से चलने वाली कंपनी से अधिक की उगाही क्यों? अस्पताल और मेडिक्लेम कंपनी ऐसे ठगी से प्रीमियम बढ़ाकर ग्राहकों को क्यों लूट रही है?

सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जब यह पता चलता है कि बच्चे के दिल की धड़कन कम हो गई है या गले में नाल अटक गई है और मां का ऑपरेशन करना आवश्यक है, तो उस परिस्थिति की रिपोर्ट या वीडियो रिपोर्ट गर्भवती के परिजनों को क्यों नहीं दिखाई जाती?

क्या यह अस्पताल के काले धंधे के लिए झूठ का हथियार तो नहीं? सच उजागर होना आवश्यक है।

डेलीडोज टीम के पास इस मामले से जुड़े सभी सबूत हैं और अस्पताल प्रशासन से संपर्क भी किया गया था, लेकिन पीड़ित को राहत न देकर केवल टालमटोल ही किया गया।

डॉ. ज्योति सिंह के सिद्धिविनायक अस्पताल से जुड़े काले करतूतों से संबंधित और भी खबरें जल्द ही आपके समक्ष सार्वजनिक की जाएंगी।

यदि आपके साथ भी कोई धोखाधड़ी की गई हो, तो सबूतों के साथ हमसे व्हाट्सएप नंबर 9594930750 पर संपर्क करें, हम आपके न्याय की लड़ाई में आपका साथ अवश्य देंगे।

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