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भ्रष्ट सहायक आयुक्त राजेश सावंत और फर्जी बिल्डरों के आर्थिक सांठ गांठ के कारण डोंबिवली में बिल्डरों की मनमानी जारी है।

अंकुश दुबे

 

कल्याण डोंबिवली – अवैध निर्माण, घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में निरंतर चर्चा का विषय बने रहने वाले कल्याण डोंबिवली महानगर के सात “ह” प्रभाग क्षेत्र के अंतर्गत डोंबिवली पश्चिम के कुछ क्षेत्रों में फर्जी बिल्डरों की मनमानी का सिलसिला जारी है, जिसका मुख्य कारण भ्रष्ट सहायक आयुक्त राजेश सावंत हैं।

यह अधिकारी अपने निजी लाभ के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का अधूरा पालन करते हुए पालिका प्रशासन के नियमों और कायदों की अवहेलना कर रहे हैं। हाल ही में एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें राजेश सावंत ने अपने स्वार्थ के लिए फर्जी  बिल्डरो से  सांठ गांठ करके गलत काम मे सहयोग किया  है जिसमे सावंत द्वारा विरल जगदीश पेथानी, पवन अन्ना चौधरी, विजय काशीनाथ मोरे को पांच मंजिला और भरत शेंडकर, सागर म्हात्रे, बद्रीनाथ मखरे को आठ मंजिला इमारत बनाने की मौखिक मंजूरी प्रदान की।

वास्तविकता यह है कि उल्लिखित दोनों इमारतें अवैध घोषित की जा चुकी हैं, और स्वयं सहायक आयुक्त राजेश सावंत ने इन इमारतों पर नाममात्र की कार्रवाई कर वरिष्ठ अधिकारियों को झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जब शिकायतकर्ता ने सहायक आयुक्त राजेश सावंत से इस विषय में शिकायत की, तो उन्होंने कहा कि “पहले ही बिल्डरों को बहुत आर्थिक नुकसान हो चुका है, और यदि आप शिकायत करेंगे, तो आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।”

भ्रष्ट सहायक आयुक्त के इस मनमाने उत्तर से असंतुष्ट शिकायतकर्ता ने इस विषय पर कल्याण डोंबिवली महानगर पालिका के आयुक्त इन्दुरानी जाखड़, अनधिकृत निर्माण नियंत्रण विभाग के उपायुक्त अवधूत तावड़े और उपायुक्त सामान्य प्रशासन से शिकायत की है। उन्होंने यह निर्णय लिया है कि आवश्यकता पड़ने पर जनहित में माननीय न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करेंगे।

अब यह देखना शेष है कि वरिष्ठ अधिकारी जनता के हित में उचित न्याय करेंगे या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देंगे।

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