केंद्र ने कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को आधिकारिक तौर पर खत्म कर दिया है। यह परिवर्तन स्कूलों को उन छात्रों को बनाए रखने की अनुमति देता है जो साल के अंत की परीक्षाओं में उत्तीर्ण नहीं होते हैं।
री-एग्जामिनेशन का अवसर: जो छात्र प्रमोशन मापदंड पूरा करने में विफल रहेंगे, उन्हें परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर री-एग्जामिनेशन देने का अतिरिक्त मौका दिया जाएगा।
यदि वे री-एग्जामिनेशन में असफल हो जाते हैं, तो उन्हें उनकी वर्तमान कक्षा (5वीं या 8वीं) में रोक लिया जाएगा।
छात्रों के लिए सहायता : क्लास टीचरों को इस अवधि के दौरान छात्रों और उनके माता-पिता दोनों को मार्गदर्शन प्रदान करना आवश्यक है। इसके लिए विशेष शैक्षिक इनपुट की पेशकश की जाएगी।
नए नियम 3,000 से अधिक केंद्रीय सरकारी स्कूलों पर लागू होंगे, जिनमें शामिल हैं:
- केन्द्रीय विद्यालय
- नवोदय विद्यालय
- सैनिक स्कूल
शिक्षा एक राज्य का विषय है, जो अलग-अलग राज्यों को यह तय करने की अनुमति देता है कि समान नीतियों को अपनाना है या नहीं।
वर्तमान में, 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही नो-डिटेंशन पॉलिसी हटा दी है, जबकि हरियाणा और पुडुचेरी सहित अन्य ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी बच्चे को तब तक स्कूल से नहीं निकाला जाएगा जब तक वह अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेता। इस उपाय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चों को शीघ्र निष्कासन के डर के बिना अपनी शिक्षा पूरी करने का अवसर मिले।
निष्कर्ष :
नो-डिटेंशन नीति के उन्मूलन (Elimination) को शैक्षणिक जवाबदेही बढ़ाने और स्कूलों में शैक्षिक मानकों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जाता है। नए ढांचे का उद्देश्य शैक्षणिक रूप से संघर्ष कर रहे छात्रों को बेहतर सहायता प्रदान करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें पूर्ण प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त हो।












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