बेंगलुरु की 57 वर्षीय एक महिला को धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा, जब धोखेबाजों ने साधु गुरु जग्गी वासुदेव का एआई-जनित (AI-Generated, Deepfake) डीपफेक वीडियो बनाकर एक नकली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का प्रचार किया। महिला ने इस वीडियो को देखकर उस प्लेटफॉर्म में भारी निवेश किया, जिससे उसे 3.75 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हुआ।
घटना का सारांश:
- बेंगलुरु की 57 वर्षीय सेवानिवृत्त महिला ने 3.75 करोड़ रुपये गंवा दिए।
- धोखेबाजों ने साधु गुरु का एआई-जनित डीपफेक वीडियो बनाया।
- वीडियो में साधु गुरु को एक ट्रेडिंग कंपनी का समर्थन करते दिखाया गया।
- महिला डीपफेक तकनीक से अनजान थी और वीडियो पर भरोसा कर बैठी।
धोखाधड़ी का तरीका :
- वीडियो में दर्शकों को $250 का निवेश करने और व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए कहा गया।
- महिला को “वलीद बी” नाम के व्यक्ति ने संपर्क किया, जो “मिरॉक्स” नामक कंपनी का प्रतिनिधि होने का दावा करता था।
- उसे लगभग 100 सदस्यों वाले व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया।
- धोखेबाजों ने ज़ूम के जरिए नकली ट्रेडिंग ट्यूटोरियल दिए और “माइकल सी” नामक एक और साथी से परिचय कराया।
- समूह के अन्य सदस्य नकली मुनाफे और स्क्रीनशॉट साझा कर विश्वास बनाने की कोशिश करते रहे।
- महिला ने कई बार पैसे ट्रांसफर किए, यह सोचकर कि उसे मुनाफा हो रहा है।
धोखाधड़ी का पता कैसे चला :
- जब महिला ने मुनाफा निकालने की कोशिश की, तो धोखेबाजों ने अतिरिक्त फीस और टैक्स की मांग की।
- मना करने पर उन्होंने संपर्क बंद कर दिया।
- महिला ने लगभग पांच महीने बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
चुनौतियां और कार्रवाई :
- पुलिस के लिए पैसे की वसूली मुश्किल साबित हो रही है।
- बैंक के साथ समन्वय कर धोखेबाजों के खाते फ्रीज करने की कोशिश की जा रही है।
डीपफेक तकनीक का परिचय :
- डीपफेक “डीप लर्निंग” और “फेक” का संयोजन है, जो एआई की मदद से वीडियो और ऑडियो को बदलता है।
- ऐसे वीडियो आम लोगों के लिए असली और नकली में फर्क करना मुश्किल बना देते हैं।
- रश्मिका मंदाना, राजदीप सरदेसाई और सुधा मूर्ति जैसे अन्य हस्तियों के भी डीपफेक वीडियो बनाए गए हैं।
- साधु गुरु और उनकी ईशा फाउंडेशन ने अपनी पहचान के दुरुपयोग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।
सार्वजनिक और कानूनी प्रतिक्रिया :
- यह घटना एआई-जनित धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे को दर्शाती है।
- डीपफेक धोखाधड़ी से निपटने के लिए कानूनी और तकनीकी उपाय किए जा रहे हैं।
- जनता में डीपफेक तकनीक के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है ताकि ऐसे धोखे से बचा जा सके।











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